
कशमकश
कल शहर मे बारिश हुई थी .....
पहली बूंद
की छुअन –
यूँ लगा जैसे
तुम्हारे गीले
गेशू
मुझसे आ लिपटे
हो ......
अनवरत होती बारिश
की छम- छम
जैसे नुपूर पहने तुम
मेरे पास आ रही हो
शबनम - स्नात दरखतों पर चमकती
मार्तंड की किरणे
जैसे चान्दनी रात मे
तेरी बलिया हिली हो
धवल आसमा में सज़ा
चमकीला इंद्र-धनुष
चटकीले रंगो की
साड़ी में
जैसी तुम लगती
हो......
कशमकश में हूँ मै-
कि इस शहर के बारिश मे
कोई जादू
है
या फिर
मुझे मोहब्बत हो गयी है .....?
- नील कमल
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