Monday, 29 October 2012

अँगराईयाँ - रुबाईयाँ

कुछ दिन  पहले  -
जीवन में मेरे , 
थी ये घटना  घटी 

मैं किसी की  
अँगराईयों  पर हुआ  फ़िदा  , 
और  वो -
मेरी रुबाईयों पर  मर मिटी 


कुछ दिन  पहले  -
जीवन में मेरे , 
थी ये घटना  घटी 

दिन बीता  , रातें  बदली ,
यारियाँ चलती रही 
अँगराईयाँ - रुबाईयाँ
एक  - दूजे में ढलती रही 

पर अहर्निश कोई 
अँगराई ले - मुमकिन नहीं 
और कोई बस रुबाई रचे 
ये भी तो संभव नही 

वक़्त बीता ,
धीरे - धीरे मोह की बदली   छटी ,
और कुछ इस तरह -
हम दोनों  की दुनिया लुटी 


कुछ दिन  पहले  -
जीवन में मेरे , 
थी ये घटना  घटी ..


Monday, 22 October 2012

Dream VS Bread

"They sold their dreams -
to buy
a loaf of bread .

if 
they didn't sell it
they could be able to buy
breads........... for others........"

                       -  neel kamal

Thursday, 18 October 2012

चुप्पी

जब कभी 
ज़िन्दगी नाराज़ करती है , 
मैं बिलकुल चुप सा हो जाता हू ......


वो पास आकर 
मेरा चेहरा अपनी ओर करते हुए 
बड़ी मासूमियत से कहती है -
"तुम चुप बिलकुल  अच्छे नहीं लगते ,
कुछ बोलो  ना "


फिर नभ में 
सैकड़ो इन्द्रधनुष 
एक साथ खिल उठते हैं ...........


                                   - नील कमल     

Wednesday, 17 October 2012

Last paragraph

" May be
you had to face
something wrong 
in your morning , 


may be 
you tested bitter
in your lunch ,


But Now
be cool
be calm
take keen interest 
in watching your day...


Because -
There is always
a lot of beauty
in the 
last paragraph
of the day ."   

             -  neel kamal

written on 18/10/12 at 11:30 am

Tuesday, 16 October 2012

"जब तक है जान " और गुलज़ार साहब .









और  आखिर आ ही गए एक साथ - यश चोपड़ा ,  ए . आर . रहमान और गुलज़ार साहब .

फ़िल्म है -" जब  तक  है  जान ".

                 अरे हाँ ...... शाहरुख़  खान और कटरीना कैफ भी सिल्वर स्क्रीन पर  पहली बार साथ आए हैं .
                 
                   कटरीना और  अनुष्का  की  कातिलाना अदाये , शाहरुख़ का  बेमिसाल  अभिनय ,  गुलज़ार साहब के  अजूबे शब्द और रहमान  का कर्ण प्रिय संगीत - सब  सिनेमा  के  परदे पर इस दीवाली एक जादू  रचेंगे ...........

                   पर मुझे तो इंतजार रहता है गुलज़ार साहब की शायरी  का .  कब  उनकी कोई फिल्म / अलबम रिलीज़ हो और कुछ नया सुनने  को मिले ...

तो आईये इसी फिल्म के लिए  गुलज़ार साहब की कलम  से निकली कुछ बेहतरीन शायरी की बानगी देखे ----


"साँस में  तेरी 
साँस मिली तो 
मुझे साँस  आयी 

रूह ने छू ली 
जिस्म की खुशबू 
तू जो पास आयी "


                                                          ......................................................

"आज की रात ये  किसकी  है 
कल की रात तेरी न मेरी 
चाँद उठा चल टास करे 
चेहरा तेरा और चाँद मेरी "


                                                          .........................................................

"छोटे -छोटे लम्हों को 
तितली जैसे पकड़ो तो 
हाथो में रंग रह जाते हैं 
पंखो से जब छोड़ो तो "
                                                          ..........................................................

"हलके -हलके पर्दों में 
मुस्कुराना अच्छा लगता है 
रौशनी जो देता हो तो 
दिल जलाना अच्छा लगता है 
      .............................................................


कही अल्हड़पन     तो  कही   मासूमियत ,

            कही जोश-ओ -खरोश  तो कही रूमानियत ..............


                                     गुलज़ार साहब आपका भी जबाब नही ...........................





Thursday, 11 October 2012

तन्हा बच्चा

 भीड़ में  मैं तन्हा बच्चा 
 भीड़ में  मैं तन्हा बच्चा 

चारों  ओर  है  घुप्प  अँधेरा 
बस  बेबसी  का  बसेरा 
जाने  कब  आए  सवेरा 
आस भी  अब  खाए  गच्चा 

 भीड़ में  मैं तन्हा बच्चा 
 भीड़ में  मैं तन्हा बच्चा 

स्नेह - सिक्त साथ छुटा 
तन्हाई  ने  हमको  लूटा 
रब से अब  विश्वास  रूठा 
मौत आ जाए  तो अच्छा 

 भीड़ में  मैं तन्हा बच्चा 
 भीड़ में  मैं तन्हा बच्चा 

Tuesday, 9 October 2012

हसरत

तेरी बाहों में गुजारने को कोई शाम 

दिल बेकरार - सा क्यू   है   ??

तू  नही है कही भी ..........

फिर तेरा  इंतज़ार क्यू  है ????????????


Aas to thi kb se

ki main bhi chhaau  jag me........

ab jb mila hai mauka -

kyu kaapte hain paaun ?????????????