यादें
यादें यूँ होते हैं -
जैसे टुकडे कांच के .....
जब चांदनी रात हो
यूँ चमकते हैं -
जैसे सारे सितारे
ज़मीं पर बिछे हों ......
पर जब रात काली हो
पाँव में चुभकर
ये बेदर्द
राह छीन लेते हैं .......
यादें यूँ होते हैं -
जैसे टुकडे कांच के .....
- नील कमल
14/11/2012 09:00 pm
nice one
ReplyDeletethanks sachin...........
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