Sunday, 24 January 2016

लप्रेक सा कुछ - 01

अरसे बाद अचानक मिले थे दोनों । आँखें चमक उठी थीं उनकी ।

- आज भी सुंदर दिखती हो !
- तो क्या एज वाइज ब्यूटी लॉस्ट हो जाती है ?
- नहीं ! वैसे दादी नहीं बनी हो अब तक !
- तुम्हें नहीं पता ? आई हैव टू ग्रेंड चिल्ड्रेन ।
- अच्छा ! तीस के उमर की क्वारी कन्या और नाती- पोते !
- क्यों नहीं ? वसुधैव-कुटुंबकम । खैर, मुझे छोड़ो,  तुम          अपनी सुनाओ , क्या लिख रहे हो इन दिनों ?
- कहाँ लिख पा रहा हूँ । तुम गई, मेरी कलम खाती गई !
- अच्छा !  तो कोई दूसरी कलम ले लेते ।
- सोच तो मैं भी रहा था पर...
- पर क्या ?
- कोई पसंद नही आई । आदत बहुत कुत्ती चीज होती है । है   न ?
- मुझे क्या मालूम ?
-  और तुमने शादी क्यों नहीं की अबतक..
-  अकेलेपन की आदत लग गयी है और तुमने कहा न कि आदत बहुत ....

खिलखिलाकर हँस पड़े दोनों । देर तक एक दूसरे को देखते रहे । यूँ तो शांत दिख रहे थे पर उनके अंदर बहुत कुछ उमड़ रहा था ।

#लप्रेक सा कुछ

© नील कमल 24.01.2016

यूको टावर के जनवरी - मार्च 2018 अंक में प्रकाशित





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