और आखिर आ ही गए एक साथ - यश चोपड़ा , ए . आर . रहमान और गुलज़ार साहब .
फ़िल्म है -"
जब तक है जान ".
अरे हाँ ...... शाहरुख़ खान और कटरीना कैफ भी सिल्वर स्क्रीन पर पहली बार साथ आए हैं .
कटरीना और अनुष्का की कातिलाना अदाये , शाहरुख़ का बेमिसाल अभिनय , गुलज़ार साहब के अजूबे शब्द और रहमान का कर्ण प्रिय संगीत - सब सिनेमा के परदे पर इस दीवाली एक जादू रचेंगे ...........
पर मुझे तो इंतजार रहता है गुलज़ार साहब की शायरी का . कब उनकी कोई फिल्म / अलबम रिलीज़ हो और कुछ नया सुनने को मिले ...
तो आईये इसी फिल्म के लिए गुलज़ार साहब की कलम से निकली कुछ बेहतरीन शायरी की बानगी देखे ----
"साँस में तेरी
साँस मिली तो
मुझे साँस आयी
रूह ने छू ली
जिस्म की खुशबू
तू जो पास आयी "
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"आज की रात ये किसकी है
कल की रात तेरी न मेरी
चाँद उठा चल टास करे
चेहरा तेरा और चाँद मेरी "
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"छोटे -छोटे लम्हों को
तितली जैसे पकड़ो तो
हाथो में रंग रह जाते हैं
पंखो से जब छोड़ो तो "
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"हलके -हलके पर्दों में
मुस्कुराना अच्छा लगता है
रौशनी जो देता हो तो
दिल जलाना अच्छा लगता है
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कही अल्हड़पन तो कही मासूमियत ,
कही जोश-ओ -खरोश तो कही रूमानियत ..............
गुलज़ार साहब आपका भी जबाब नही ...........................