चलो ना यार , मिलकर आसमां नापते हैं I
काँपते हाथों की, अब
ऊंगलियाँ थामते हैं II
चेहरे पर हर किसी की
चाँद खिला के दम लेंगे ,
राहें कितनी भी मुश्किल हो -
पहला कदम हम लेंगे ,
खोलकर दरवाजे बाहर का रुख भाँपते
हैं I
चलो ना यार , मिलकर आसमां नापते हैं II
कदम संभाल कर रखने हैं
मैंने माना है ,
पर क्या तुमने अब तक -
खुद को नहीं जाना है
,
दर्द देख कर क्यूँ तेरे ये होश हाँफते हैं I
चलो ना यार , मिलकर आसमां नापते हैं II
© नील कमल 07 Sept. 2011, 07:00 PM
लुईत (वर्ष 01 ,अंक 01 )में प्रकाशित