Thursday 24 October 2013

आवाह्न

चलो ना यार , मिलकर आसमां नापते हैं  I
काँपते हाथों  की, अब ऊंगलियाँ थामते हैं II

चेहरे पर हर किसी की
चाँद खिला के दम लेंगे ,
राहें कितनी भी मुश्किल हो -
पहला कदम हम लेंगे ,

खोलकर दरवाजे बाहर का रुख भाँपते हैं  I
चलो ना यार , मिलकर आसमां नापते हैं  II

कदम संभाल कर रखने हैं
मैंने माना है ,
पर क्या तुमने अब तक -
खुद को नहीं जाना है ,

दर्द देख कर  क्यूँ   तेरे  ये होश हाँफते हैं   I
चलो ना यार , मिलकर आसमां नापते हैं  II



 © नील कमल  07 Sept. 2011, 07:00 PM

लुईत (वर्ष  01 ,अंक  01 )में प्रकाशित