Monday 29 February 2016

फरवरी का उनतीस

"चार सालों का फिक्स डिपोजिट
   मैच्योर हुआ है आज

                  फरवरी को ब्याज में
     एक पूरा दिन मिला है ।"

- © नील कमल

29/02/2016

Saturday 20 February 2016

यह कौन है



यह कौन है
जो
पसीने-से लथपथ
दिन भर की थकन से चूर
माथे की लाल बिंदी,
ताड़ के पेड़ों जैसे लम्बे झुमके
और हरी चूनर उतार
उतर रही है रात के जल में

रोज देखता हूँ इसे

यूँ ही ख़ामोशी-से गुम होते
और अगली सुबह
सूरज संग सज-संवर कर लौटते हुए

कौन है यह ?


- © नील कमल 19.02.2016

तस्वीर श्री Girindranath Jha जी के फेसबुक वाल से साभार

Sunday 14 February 2016

लप्रेक सा कुछ -03

- इ गुलाब काहे लाए हो ?
- तोसे प्यार करते हैं न । इ वास्ते ।
- बौरा गए हो क्या ?
- अरे नहीं पगली ! आज भेलेनटाइन डे है न ! उ बाजार में देखे - जो जिसको प्यार करता है, उ उसको गुलाब दे रहा था । अब हम तो आजतक तुमसे ही प्यार किए हैं, सो तुम्हरे लिए ले आये । जानती हो एक-एक गुलाब पचास का बिक रहा था ।
- तो पचास रुपैया खर्च कर दिए का ? बबुआ के ट्यूशन वाला मास्टर को देते तो कोनो काम का बात होता । इ गुलाब का क्या है । अभी सूख जाएगा । चालीस के हुए और रत्ती भर की अकल नहीं ।
- अरे ! हमको बबुआ का फिकर नहीं है क्या ? पैसा मास्टर साहेब को ही देंगे । गुलाब खरीदे नहीं है । मन्दिर की पीछे वाली फुलवारी से पुजारी की नजर बचाकर तोड़ लाये हैं। मानते हैं कि चोरी किए हैं पर प्यार सच्चा है हमरा ।
- उ तो है । तब न तोहरे संग बीस बरस पहले भाग लिए थे । चलो हाथ-मुंह धो लो, खाना लगाते हैं ।

 #लप्रेक सा कुछ -03

© नील कमल  14.02.2016

यूको टावर के जनवरी - मार्च 2018 अंक में प्रकाशित




Thursday 4 February 2016

लप्रेक सा कुछ 02

और अगर कह दूँ कि वो तुम हो फिर ?

हो ही नहीं सकता ! मैं जानती हूँ खुद को । तुमने अपनी कविताओं में जितनी तारीफें लिखीं हैं, मैं उतनी सुंदर कहाँ ? बनाओ मत मुझे। सच बताओ न । कौन है वो ?

होठ खामोश हो गये थे मेरे । आँखें अब भी कह रही थीं- हाँ ! तुम हो ! तुम ही तो हो । जिसे चाहा है मैंने पागलों की तरह । कितनी हिम्मत से कह सका एक बार । काश ! तुम समझ पाती ।

वो जिद करती रही देर तक। बताओ न ! कौन है वो ? वह फिर से अपना नाम सुनना चाह रही थी । देखना चाह रही थी कि कविता के हर्फों में कितनी सुंदर लगती है वो ।


#लप्रेक सा कुछ 02

© नील कमल  04.02.2016


यूको टावर के जनवरी - मार्च 2018 अंक में प्रकाशित