Saturday 27 January 2018

हमें कतारों में खड़ा करो


हमें कतारों में खड़ा करो
हमें श्रृंखलाओं में खड़ा करो
हम वाजिब सवाल न पूछ बैठें कोई
हमें किरदारों में खड़ा करो

आंखें बंद करवाकर खड़ा रखो हमें
और तब तक गिनती गिनने दो
जब तक तुम अपनी गुद्दी सुरक्षित न कर लो
फिर पीठ पर जोर का धप्पा देकर
हमें बाज़ारों में खड़ा करो

हमें कतारों में खड़ा करो
हमें श्रृंखलाओं में खड़ा करो...

सर्व उत्तम का स्वांग भरो ,
अपनी नाज़ायज महत्वाकांक्षाएं जियो,
अगर पकड़े जाओ कभी
चरित्र हनन करो हमारा
और मीडिया-अखबारों में खड़ा करो

हमें कतारों में खड़ा करो
हमें श्रृंखलाओं में खड़ा करो...

©नील कमल : 17.01.2018

#गुद्दी - तशरीफ़ ।

Friday 12 January 2018

दिल चोरी साड्डा हो गया : एक नॉस्टेल्जिया

तो यह मेरे कक्षा 9 की बात है और साल शायद 2001 था ।

वो वॉकमैन और रील वाले ऑडियो कैसेट का जमाना था । ऑडियो कैसेट में अपनी पसन्द के 12 गाने डलवाना पर सबसे पसंदीदा एक ही गाने को बार -बार सुनने वाले दिन।  हंस राज हंस की "चोरनी" अलबम ने मार्केट कब्जाया हुआ था - "ये जो सिली-सिली औंदी ए हवा" और "दिल चोरी साड्डा हो गया" ।  कान में एयर फोन लगाकर रात को बिस्तर पर लेटे हुए -रिवाइंड एन्ड प्ले, रिवाइंड एन्ड प्ले ।

कुछ गीतों /आवाजों/धुनों की ख़ासियत यह होती है कि वह आप पर किसी भूतिया साये की तरह हावी हो जाती है । रह रहकर आपको जकड़ेगी । आप रह रहकर उस धुन पर बौराएँगे । तो यह मेरे कक्षा 9 की बात है और साल शायद 2001 था ।  स्कूल - रघुनन्दन उच्च विद्यालय , समर्था , समस्तीपुर ।  लगभग पौने दो सौ बच्चों का बैच था हमारा । हॉल में श्रीवास्तव सर ( श्री उमेश चन्द्र श्रीवास्तव) जीव विज्ञान पढ़ा रहे थे । और फिर कोई धीमे से गुनगुनाने लगा - दिल चोरी साड्डा हो गया , ओय की करिए , की करिए । नयनों में किसी के खो गया, ओय की करिए , की करिए ।।

श्रीवास्तव सर पढ़ाते-पढ़ाते अचानक चुप हो गए । सन्नाटा । पिन ड्राप साइलेन्स । अब गीत के बोल साफ सुनाई देने लगे -

"ओ मैडम ! तेरी चाल , तेरे सिल्की -सिल्की बाल
मैं नशे में टल्ली हो गया, अब इससे ज्यादा क्या कहिए ।
दिल चोरी -.."


आवाज अचानक बन्द हो गयी । श्रीवास्तव सर कुछ देर चुप रहे फिर उन्होंने कहा - "राइट साइड , बैंच नम्बर 16-17 - बैंच पर खड़े हो जाओ ।" राइट साइड से बैंच गिने गए । बैंच नम्बर 16 और बैंच नम्बर 17 , ओ तेरी ! बैंच नम्बर 17 पर मैं भी था । दोनों बैंच के कुल 9 बच्चे अब अपने बैंच पर खड़े थे । श्रीवास्तव सर ने पूछा - "इन नवरत्नों में से तानसेन कौन था ?" सबके काटो तो खून नहीं । पर किसी ने कोई नाम नहीं उगला ।

 सर ने सबको बैठ जाने का आदेश देते हुए मॉनिटर से कहा - "अनुशासन पुस्तिका में इन नवरत्नों के नाम लिखिए और ये सब आज से जब तक इस स्कूल में रहेंगे, मेरा कोई भी क्लास अटेंड नहीं करेंगे ।" श्रीवास्तव सर स्कूल के बहुत अच्छे शिक्षकों में गिने जाते थे और उनका यह आदेश हमें  हीरोशिमा और नागासाकी पर एटम बम गिरने से ज्यादा खतरनाक लगा । हंस राज हंस की खुमारी अब मेरे सर से उतर चुकी थी । अपराधबोध के अहसास से मैं श्रीवास्तव सर के पास गया और स्वीकारा कि मैं गुनगुना रहा था । उन्होंने आंखें तरेर कर देखा और कहा - "जोर से बोलो ! मुझे सुनाई नहीं दिया" ।
- "सर ! मैं गुनगुना रहा था ।" मैंने फिर कहा ।
- "जोर से बोलो ।" वो गुर्राए ।
- "सर ! नवरत्नों में तानसेन मैं था ।" अब मैं चिढ़ गया था ।
उन्होंने छड़ी उठाई और मुझे मेरी दोनों हथेलियों पर लगातार आठ छड़ी रसीद कर दिए । हाई स्कूल में यह मेरी पहली और आखिरी पिटाई थी ।

कुछ दिनों बाद जब स्कूल के वार्षिक सांस्कृतिक कार्यक्रमों की सूची बन रही थी तो श्रीवास्तव सर ने जबरदस्ती मेरा नाम लिखवा दिया ।उस दिन की पिटाई के बाद मेरा मन तो बिल्कुल खट्टा था पर क्लास के बाद श्रीवास्तव सर ने मुझे टीचर्स रूम में बुलाया और कहा कि बेटा ! हर चीज अपने सही जगह पर अच्छी लगती है । क्लास पढ़ने और स्टेज परफॉर्म करने की जगह है । इसे मिक्स मत करो और मौके को मिस भी मत करो । सर के  कारण मैं पहली बार स्टेज पर था । इस घटना ने इंट्रोवर्ट नील कमल की खोल से एक एक्स्ट्रोवर्ट नील कमल को बाहर निकाला । धन्यवाद ! श्रीवास्तव सर।

पर यह कहानी मैं आपको आज क्यों सुना रहा हूँ ? अरे ! रैपर हनी सिंह ने पूरे दो साल बाद म्यूजिक की दुनिया मे लौटते हुए फ़िल्म #सोनू_के_टीटू_की_स्वीटी के लिए दिल चोरी साड्डा हो गया का रीमेक किया है ।  तो लीजिये आप भी सुनिए इसे। सुनिए और नीचे कमेंट कर बताइए कि आपको कौन - सा पसन्द आया ? हंस राज हंस या हनी सिंह :