Saturday 12 March 2016

लप्रेक सा कुछ - 04

- "हैप्पी बर्थ डे नीरा"
- "थैंक यू पतिदेव ! पर मेरा गिफ्ट कहाँ है ?"
- "गिफ्ट के लिए तो तुम्हें मेरे स्टडी रूम में आना पड़ेगा ।"
- "तो आज भी कविता से ही काम चलाओगे पर मैं तो डायमंड या प्लेटिनयम एक्स्पेक्ट कर रही थी ।"
- "चलो तो सही"
- "ओके बाबा ! चलो "
- "इतने बड़े डिब्बे में क्या है ?"
- "खुद ही देख लो"
- "ओह! यह क्या है - कैनवास, ब्रश और रंगों की ट्यूब "
- "क्यों पसंद नहीं आया ?"
- "अच्छा है पर मैं अब पेंटिंग कहाँ करती ?"
- "तो करो न । फिर से शुरू करो । याद है - कॉलेज में मेरी हर कविता के लिए तुम एक पेंटिंग बनाती थी और तुम्हारी पेंटिंग्स पर मैं कविता लिखा करता था । लोग कहते थे- "टुगेदर वी आर कम्प्लीट "। मैं अब भी कलम घसीट रहा हूँ पर तुमने अपनी ब्रश छोड़ दी । तुम्हारे जन्मदिन पर मैं तुम्हें कोई गिफ्ट नहीं दे रहा, तुमसे कुछ माँग रहा हूँ - "मिसेज नील ! मुझे मेरी नीरा लौटा दो । बोलो न ! क्या ब्रश-रंगों वाली नीरा मुझे वापस मिलेगी ?"
- "यू मेड माय डे नील ! दीस इज द बेस्ट गिफ्ट आई हैव एवर गेट । (गले लगते हुए) जरुर मिलेगी, आपको आपकी नीरा जरुर मिलेगी, ये मिसेज नील का वादा है ।"

 #लप्रेक सा कुछ - 04

© नील कमल  12.03.2016


यूको टावर के जनवरी - मार्च 2018 अंक में प्रकाशित