Friday 14 December 2012

तमन्ना -02

तमन्नाए भटकती  हैं -
ताउम्र 
पूरी होने की आस लिए ...                  


दुत्कारी जाती , ठुकरायी जाती , 
पुचकारी जाती , भगायी जाती ,
वक़्त की बेरहमी मे 
तोड़ी और मरोड़ी जाती , 
पर फिर भी 

तमन्नाए भटकती  हैं -
ताउम्र 
पूरी होने की आस लिए ...


किसी शहर में, किसी मोड़ पर 
कोई तो होगा ऐसा -
जो खोकर खुद को  
उसमे मिले 
और बस उसको पूरा कर दे ,
उसी प्रियतम से मिलने को 
भटक रही है अबतक -
सीने में एक विश्वास लिए ...

तमन्नाए भटकती  हैं -
ताउम्र 
पूरी होने की आस लिए ...


                                          - नील कमल 
                                                      12/12/12