Friday 6 May 2016

कविता - 01

कई किताबें हैं-
आधी पढ़कर छोड़ी हुई,
कई फ़िल्में हैं-
आधी देख कर छोड़ी हुई,
कई कविताएँ हैं-
आधी लिख कर छोड़ी हुई...

और इन्हीं में कहीं मैं हूँ
कई टुकड़ों में बिखरा हुआ ,
जिस दिन इन्हें पूरा कर दूंगा
उसी दिन पूरा हो जाऊंगा मैं भी।

© नील कमल

06/04/2016